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जयपुर, 11 दिसंबर 2024,
राजस्थान विश्वविद्यालय (आरयू) में जल्द ही एक आधुनिक परीक्षा भवन का निर्माण किया जाएगा। यह भवन विश्वविद्यालय के कम्यूनिटी सेंटर के पास 6 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा और करीब 10 महीने में पूरा होने का अनुमान है।
क्या होंगी सुविधाएं?
इस दो मंजिला भवन में कई आधुनिक सुविधाएं होंगी:
मेटल डिटेक्टर: परीक्षार्थियों को प्रवेश से पहले मेटल डिटेक्टर से जांचा जाएगा।
सीसीटीवी कैमरे: प्रवेश द्वार से लेकर परीक्षा हॉल तक सीसीटीवी कैमरों की निगरानी रहेगी।
छह परीक्षा हॉल: बड़े परीक्षा हॉल बनाए जाएंगे, जिनमें भी सीसीटीवी कैमरे लगेंगे।
कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट: कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट के लिए कंप्यूटर और हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा होगी।
सर्वर और कंट्रोल रूम: परीक्षा केंद्र का संचालन के लिए एक आधुनिक सर्वर और कंट्रोल रूम बनाया जाएगा।
पार...
बड़े घरों में अवशिष्ट जल का शुद्धिकरण और रीसाइक्लिंग: राजस्थान की पहल
राजस्थान, जो कि अपनी जल-संकट समस्याओं के लिए प्रसिद्ध है, ने बड़े घरों और अपार्टमेंट्स में अवशिष्ट जल के शुद्धिकरण और रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय पहल की है। राज्य सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर जल संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने और नवीनतम तकनीकों को अपनाने के लिए कई योजनाएं और प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं।
राजस्थान की चुनौतियाँ
राजस्थान में जल संकट की समस्या हमेशा से गंभीर रही है। राज्य के अधिकतर हिस्सों में जल की उपलब्धता सीमित है, और यहां के लोग पहले से ही जल संरक्षण के प्रति सजग रहे हैं। लेकिन शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण बड़े घरों और अपार्टमेंट्स में जल की खपत और अवशिष्ट जल की मात्रा बढ़ी है। इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य ने एक ठोस कदम उठाया है।
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शीतकाल में गंगा नदी में पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, क्योंकि गंगोत्री ग्लेशियर की स्थिति में सुधार देखा जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, गंगोत्री ग्लेशियर की सेहत में सुधार होने के कारण नदी के प्रवाह में बढ़ोतरी होने की संभावना है। जल संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हालिया सर्वेक्षणों और वैज्ञानिक अध्ययनों से यह पता चला है कि ग्लेशियर में पिघलने की दर में कमी आई है और बर्फ का संचय बढ़ा है। इससे आने वाले शीतकाल में गंगा नदी के जल स्तर को बनाए रखने में मदद मिलेगी। गंगोत्री ग्लेशियर का स्वास्थ्य सुधरने से न केवल गंगा के प्रवाह में वृद्धि होगी, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी सहायक होगा। वैज्ञानिक और पर्यावरणविद इस सकारात्मक परिवर्तन का स्वागत कर रहे हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहेग...
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